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Sampoorna Raj

Drama

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Sampoorna Raj

Drama

ठंड का मर्ज

ठंड का मर्ज

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सर्दियों में था हाल बेहाल

मानव जीवन था बदहाल।


सिकुड़ रहा था मानव जीवन

ठिठुर रहा था मानव तन।


मुरझा रहे थे पेड़ बेचारे

कांप रहे थे बच्चे सारे।


अब तो चारों ओर त्राहि त्राहि

कहां गए हो सूरज भाई।


बचाओ हम सभी की जान

हम सब हैं बहुत ही परेशान।


कोहरे की मोटी चादर ने

सूरज का दरवाजा रोक रखा था।


मानव ने भी घर की खिड़की से

ठंड का दरवाजा रोक रखा था।


ठंड ने भी जोड़ लगाया

खिड़की और दरवाज़े से भीतर आया।


कहीं दूर पर लोगों ने देखा

जलती हुई आग की लौ।


फिर एक साथ लोग मिलकर

बोले यही है "ठंड का असल मर्ज"!


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