लो अब आ गया तूफान
लो अब आ गया तूफान
शासन की ज़मीं परत से।
ऊँच-नीच, जात-पात और भेदभाव को मिटाने।
फिर से आ गया है "एक तूफ़ान"।।
वर्षों तक थे हम ऐसे दबे -कुचले।
जैसे हो कोई एक बेजुबान।।
जुबां में फिर से प्राण फूंकने।
फिर से आ गयाा है "एक तूफ़ान"।।
वर्षों तक इन्होंने विकास का ढोंग कर के।
मानव को मानव से लड़ाई।।
इसमें हो रही थी इनकी भलाई।
वर्षों तक हम सब थे अंजान।
अब हम सब गए हैं जान।।
फिर से आएगा "एक तूफ़़ान
ढोंगियों को दूर भगाएगा।।
वर्षों तक हम अज्ञान के अंधेरे में थे।
ज्ञान की ज्योति जलाने।।
फिर से आ गया है "एक तूूफ़ान"।।
अब मेरा बिहार "प्रकाशमय" में होगा।
इस तूफान से --- अज्ञानता की दीप बुझेगी।
ज्ञान की ज्योति जलेगी।।
जात -पात का भेद मिटेगा।
भाई-चारा से हाथ मिलेगा।
विकास अब अवकाश पर नहींं रहेगा।।
विकास अब ज़मीं पर फिर से उतरेगा।
बिहार में फिर से खुशहाली होगी।
चारों ओर वन -संपदा की हरियाली होगी।।