STORYMIRROR

नविता यादव

Romance

4  

नविता यादव

Romance

प्यार का इज़हार

प्यार का इज़हार

1 min
428

बंद पड़े दरवाजे भी बोल पड़े

निर्जीव खड़ी दिवारे भी डोल उठें

ये रुख़ 'पवन' ने कैसा बदला

मेरा ' हृदय' ही मुझसे हुआ बेवफ़ा


धड़कता मेरे अंतर्मन में है

पर धड़कने उसकी है

ये कैसी मादकता है

"अधर" मेरे हैं पर मुस्कान उसकी है


नजदीकि मेरे दरम्यान है उसकी

पर ये कैसी कसमकश है

समझ आ रहा है फिर भी नासमझ है

उनकी "मुस्कान " के भीतर छुपी ये क्या " नग्म" है


सांसों में छिड़ी सुर-ताल है

रोम रोम महक उठे जैसे" पु ष्प विहार" है

"मुखड़े की लालिमा" लज्जा रुुुपी .गहना पहने हैं

ये मंद-मंद मुस्कान मुझको मुझसे ही छिने है


कुछ न कह कर भी बहुत कुछ कह गए

ये तेरे नैना मेरे "हृदय" के पट खोल गए

इक मुलाकात जो तुमसे हुईं

मेरे जीवन में प्रेम रूपी बीज बो गए

मेरे जीवन में प्रेम रूपी बीज बो गए।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance