प्यार का इज़हार
प्यार का इज़हार
बंद पड़े दरवाजे भी बोल पड़े
निर्जीव खड़ी दिवारे भी डोल उठें
ये रुख़ 'पवन' ने कैसा बदला
मेरा ' हृदय' ही मुझसे हुआ बेवफ़ा
धड़कता मेरे अंतर्मन में है
पर धड़कने उसकी है
ये कैसी मादकता है
"अधर" मेरे हैं पर मुस्कान उसकी है
नजदीकि मेरे दरम्यान है उसकी
पर ये कैसी कसमकश है
समझ आ रहा है फिर भी नासमझ है
उनकी "मुस्कान " के भीतर छुपी ये क्या " नग्म" है
सांसों में छिड़ी सुर-ताल है
रोम रोम महक उठे जैसे" पु ष्प विहार" है
"मुखड़े की लालिमा" लज्जा रुुुपी .गहना पहने हैं
ये मंद-मंद मुस्कान मुझको मुझसे ही छिने है
कुछ न कह कर भी बहुत कुछ कह गए
ये तेरे नैना मेरे "हृदय" के पट खोल गए
इक मुलाकात जो तुमसे हुईं
मेरे जीवन में प्रेम रूपी बीज बो गए
मेरे जीवन में प्रेम रूपी बीज बो गए।