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PRAVESH KUMAR SINHA

Romance

3  

PRAVESH KUMAR SINHA

Romance

प्यार का हाल

प्यार का हाल

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मुझे पागल कह ले

चाहे तो कमीना कह ले

दिल ने ये आवाज़ दिया

मैं तुझसे प्रीत लगा बैठा।


तेरी दीवानगी में चूर हुआ

गली-गली मशहूर हुआ

तुझ को याद करते-करते

अपना भी होश गंवा बैठा।


छाया बनकर साथ चल ले

या नागिन बनकर डस ले

तेरे प्यार के विष में मैं

अमृत को भी ठुकरा बैठा।


मैं तेरी आँखों में खटका हूँ

तेरी बाहों में अटका हूँ

दुनिया से मुझे किया मतलब

मैं तुझको अपना बना बैठा।


गाँव-शहर में घूम गयी

तू मुझसे क्यों ऊब गयी

तेरे साथ बिताये पल को

मैं यादों में दफना बैठा।


प्यार कैदी का जेल नहीं

गुड्डा-गुड्डी का खेल नहीं

जिसने भी मेरा परिचय पूछा

मैं तेरा नाम बता बैठा।


तू मुझे पछतावा कह ले

या मन का बहलावा कह ले

मैंने जो भी लकीर खिंची

तेरी तस्वीर बना बैठा।



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