प्यार का एहसास
प्यार का एहसास
पुराने जमाने मे आज की तरह लड़का लड़की नही मिलते थे
उनकी शादी उनके घरवाले ही तय करते थे
दूल्हा दुल्हन शादी के मंडप पे ही मिलते थे
मेरी भी शादी मेरे माता पिता ने एक सँयुक्त परिवार में कर दी
भरा पूरा परिवार सभी लोग बहुत ही अच्छे
पर सब कुछ नियमो में दायरों मे बंधा हुआ था
धीरे धीरे मुझे भी उन नियमो की आदत हो गई
घर के काम तक ही मेरी दुनियाँ सिमट गई
धीरे वक्क्त बीतता गया जेठ जिठानी ,
देेेवर देवरानी के बच्चे बड़े हो गए
जगह कम पड़ने लगी सभी अपने नए घर मे चले गये
और घर मे कभी न भरने वाला सूनापन छोड़ गये
हमारी कोई औलाद नही थीमेरे पति काम और फाइलों में उलझे रहते
कभी मुुुझे ढंग सेे निहारा भी नही
मैं भी मन को समझा कर घर और
सास ससुर की सेवा में अपना वक्क्त बिताने लगी
फिर मेरे रिटायर्ड हुयेउसके दूसरे दिन मेरे लिये
बहुत प्यारी साड़ी लाये और कहा इसे पहन गार्डन पर आओ
चाय के साथ पकोड़े भी लाना
हम झूले पर बैठ साथ साथ खायेंगे
मैं एक पल को तो देखती ही रह गई
की इन्हें क्या हो गया हैइस उम्र में
फिर चाय और पकोड़े ले कर में गई
तो मुझे वो देखते ही रह गयेऔर कहने लगे
तुम्हारे ऊपर लाल रंग बहुत अच्छा लगता है
मुझे पता है तुम्हे ज्यादा सजना सबरना पसन्द नही
फिर भी तुम बहुत खूबसूरत लगती हो
मैं तुमसे बहुत कुछ कहना चाहता हूँ
अब हर पल हम साथ बिताएँगे
अभी तक के सालो के जो भी शिक़वे शिकायतें है
वो सब मैं दूर कर देना चाहता हूँ
मुझे आपसे कोई शिकायत नही है
बस मुझे आपसे बहुत प्यार है
आपकी परवाह है,हम साथ साथ रहेंगे
मैं खुशकिस्मत हूँ किउम्र के इस पड़ाव में
आप मेरा इस तरह से ख़्याल रख रहे हैं
मुझे प्यार कर रहे हैं
प्यार तो तुम्हारे मेरे दरमियाँ हमेशा से था
बस एहसास वृद्ध अवस्था मे हुआ है!