प्यार का एहसास
प्यार का एहसास
जब तुम पास होती हो यकीन ही नहीं होता न जाने क्यूं
खुद से कभी सवाल करता रहता हूँ क्या ये हकीकत है
फिर खुद से दिल को बहलाता हूँ हाँ बस जो है अच्छा है
तेरा पास होना जैसे सुकून है मेरे दिल को
तेरा दूर जाना जैसे भीड़ में भी अकेला हूँ मैं
इबादत सी लगती है तू यकीन कर मेरा
हर बार हर ख्याल में ऐसे होती है तू
मैं उस शिद्दत से चाहता हूँ तुझे
जैसे मुझ में रूह बनकर समाई है तू
इश्क इबादत है सच है लेकिन
गर सच में इश्क़ खुदा का रूप है तो
मेरी सुबह, शाम हर समय की इबादत है तू l