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Anupam Meshram

Romance

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Anupam Meshram

Romance

अजनबी

अजनबी

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सारी बाते थी सारे फ़साने भी थे

हाँ बस जैसे अजनबी तुम थे वैसे ही अजनबी हम थे


तुम सोचते रहे इजहार हम करें कभी 

हम भी यही सोचकर बस इंतज़ार करते रहे


एक नज़र थी बस वो तुम पर पड़ी और दिल अपना ना रहा

देखा तो जाना यादों में कहीं घरौंदा तुम्हारा भी था


अब तुम हो तुम्हारी यादें भी साथ है

और ऐसे मुकम्मल हो गयी ये मोहब्बत हमारी


फिर भी ना जाने दिल में अजीब सी ये बेचैनी कैसी है 

क्या फिर से प्यार ने रंग ओढ़ लिया नया कोई


या फिर ये मोहब्बत ही ऐसी है 



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