प्यार ही प्यार
प्यार ही प्यार
1 min
262
हरा-भरा था संसार
खुशियों की थी भरमार
मन हर्षित था अपार
दिन थे बस वही चार
किस्मत ने खेली आँखमिचौली
पग पग मिलता है अब खार
राह में खड़े हैं ले औजार
रिश्तों में बस मिले दरार
पैसे से ही तोला जाता
कहाँ मिले और कितने हजार
यही बातें सोचते सोचते
उम्र भी होता जाए पार
सुन लो अब प्रेम पथिक
छोड़ो अब बेकार तकरार
कोशिश अब बस करना यही
मन से मन के जुड़ जाए तार
धीरज मन में रखते जाओ
निभाते जाओ नाते अब यार
सपना कहती है बार बार
दिलों में हो बस प्यार ही प्यार।