प्यार ढूँढता रह गया
प्यार ढूँढता रह गया
अधूरे ख्वाबों के किताब में,
तुमको ढूंढता रह गया,
जिंदगी के हर सवालों का,
मैं जवाब ढूंढता रह गया,
लगा जैसे मैं कुछ यूँ फिसल गया,
इश्क के रास्तों में,
जिंदगी के आईने में ,
पुरानी दास्तान ढूंढता रह गया,
अधूरे ख्वाबों के किताब में ,
मैं तुम्हें ढूंढता रह गया I
ख्याल बनकर जब-जब ,
तुम मेरी जिंदगी में आए हो,
हर बार तुम्हारे इश्क के ,
जाल में तड़पता ही रह गया,
कभी फूल ही फूल खिले थे,
दिल में तुम्हारे मिलने पर,
आज हाथों में प्यार की ,
लकीरों को ढूंढता ही रह गया,
अधूरे ख्वाबों के किताब में ,
मैं तुम्हें ढूंढता रह गया I
मैं रूठ जाऊँ तुमसे,
अब तो ये सूरत नजर आती नहीं,
इश्क़ के समंदर में ,
जीवन नैया पार करता ही रह गया,
यही आशा मन की ,
भाषा सुन तुम हृदय मेरा टटोलोगे,
तुम्हारी हर आहट पर ,
अपनी सुध-बुध खोता रह गया,
अधूरे ख्वाबों के किताब में ,
मैं तुम्हें ढूंढता रह गया I
प्रीत नगर में आकर ,
मैंने अपना सब कुछ लुटा दिया,
तुम्हारी मीठी यादों का ,
नीर नयनों से बहता रह गया,
तुम्हारे प्यार से कभी भी ,
मैं वंचित नहीं रहना चाहता ,
समय की बहती हुई हवाओं में,
तुम्हें ढूंढता रह गया,
अधूरे ख्वाबों के किताब में ,
मैं तुम्हें ढूंढता रह गया I