प्याज़ की तरह है क़िरदार मेरा
प्याज़ की तरह है क़िरदार मेरा
प्याज़ की तरह है क़िरदार मेरा
परत दर परत खुलता ही जाता है
और आखिर में सब ख़त्म हो जाता है
याद रखना, मुझे काटते वक़्त तुम भी बहुत रोओगे
किश्तों में हुई मेरी बर्बादी पर तुम भी आंसू बहाओगे
ना सस्ता है, ना महंगा है
वज़ूद मेरा उड़ता पतंगा है
प्याज़ की तरह है क़िरदार मेरा
परत दर परत जिसमें कई राज़ दफ़न हैं
जिन्हें जानने के लिए खुद से नाराज़ होना पड़ता है
ज़रा संभलकर छूना मुझे, मैं हर जगह अपनी गंध छोड़ देता हूँ
हो तक़दीर का तूफ़ान या लम्हों की लू, मैं सबका तिलिस्म तोड़ देता हूँ
प्याज़ की तरह है क़िरदार मेरा
परत दर परत खुलता ही जाता है
और आखिर में कुछ भी नहीं बचता है
बाक़ी रह जाती है तो बस वही खुशबू
जो ज़िन्दगी के मुँह से हर वक़्त आती रहती है।