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Bhawana Raizada

Classics

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Bhawana Raizada

Classics

पूंजी रिश्तों की

पूंजी रिश्तों की

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रुनझुन सी बज उठती है,

जब अकेला होता हूं मैं।

मेरे दुख को सुनती है,

जब बोझिल होता हूं मैं।


मुझको हिम्मत बंधाती है,

जब जब निराशा घेरे मुझे।

अपना हाथ बढाती है,

जब आगे बढ़ना हो मुझे।


मेरे हंसी के साथ ही,

उसकी खुशियां दुगनी हैं।

तरक्की मेरी हो तो,

घर में मिठाई बनती है।


खुशियों में बढ़ोतरी भी तो,

इन्हीं के कारण होती है।

ये पूंजी रिश्तों की,

कितनी अनमोल होती है।


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