" पुरुष "
" पुरुष "
पुरुष समाज का एक मजबूत स्तंभ है।
समाज की नींव पुरुष पर ही टिकी है।
ईश्वर ने भी सृष्टि के संचार में पुरुष को
सहयोगी माना है ,
पुरुष के बिना समाज, देश का उत्थान संभव नहीं है।
घर भी पुरुष के बिना अधूरा रहता है।
घर में पुरुष पापा बनकर अपने बच्चों का ख्याल रखते हैं।
नाना, दादा बनकर नाती - पोता का ख्याल रखते हैं।
भाई बनकर बहन की रक्षा करता है।
पुरुष देश के जांबाज सिपाही होते हैं।
जल, थल, वायु सेना में रहकर जान की
बाजी लगा देते हैं।
पुरुष पायलट बनकर देश के नाग
रिकों की मदद करते हैं।
पुरुष देश के सच्चे नागरिक होते हैं।
किसान की भूमिका में भी पुरुष खरे उतरते हैं।
अपना परवाह न कर देश के लिए अनाज उगाते हैं।
पुरुष कम कमाई होने पर भी अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा देते हैं।
परिवार की अच्छी देखभाल के लिए दूर देश जाकर मजदूरी करते हैं।
पुरुष की शक्ति को भी हम अनदेखा नहीं कर सकते।
परिवार पर मुसीबत आने पर लड़ भिड़ते हैं।
देश, परिवार के लिए जेल जाने से भी नहीं कतराते।
पुरुष के बिना देश की उन्नति असंभव है , पुरुष को सम्मान देना चाहिए।