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Shailendra Kumar Shukla, FRSC

Classics

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Shailendra Kumar Shukla, FRSC

Classics

पुरानी य़ादें

पुरानी य़ादें

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पुरानी य़ादें आती हैं 

कहानी यूँ दोहराती हैँ 

पथिक यूँ मुड़ कर देखे 

निशानी फिर सताती है !


हारे हुए पथिक औ 

नाकाम ज़िन्दगी हो 

आगौश मे यूँ हो तो,

एहसान किसका होगा !


कठिन राह से गुजर गये 

उनकी आह से संभल गये 

अवासाद किस बात का 

अवसान से तो निकल गये !


वक़्त है, ठहर जाए

सख्त है, अखर जाए

तनिक अवशेष न देखें

नादानी फिर दिखाती है !


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