पुरानी य़ादें
पुरानी य़ादें
पुरानी य़ादें आती हैं
कहानी यूँ दोहराती हैँ
पथिक यूँ मुड़ कर देखे
निशानी फिर सताती है !
हारे हुए पथिक औ
नाकाम ज़िन्दगी हो
आगौश मे यूँ हो तो,
एहसान किसका होगा !
कठिन राह से गुजर गये
उनकी आह से संभल गये
अवासाद किस बात का
अवसान से तो निकल गये !
वक़्त है, ठहर जाए
सख्त है, अखर जाए
तनिक अवशेष न देखें
नादानी फिर दिखाती है !
