पुंजीपति चंदा सरकार.
पुंजीपति चंदा सरकार.


नेताओं का चुनाव प्रत्येक जनता नहीं करती,
दलों द्वारा चुने नेताओं को जनता चुनती.
नेताओं के नेता को चुने नेता नहीं चुनते ,
देशी-विदेशी नकली राष्ट्रवादि, पूंजीपति उसे चुनते.
पूंजीपति चंदा से अघोषित पूंजीपति सरकार बनती.
नेताओं की इन बैसाखियों के सहारे सरकारें चलाती.
षड्यंत्रकारियों, भ्रष्ट शासन के मिलीभगत से,
कुनबे के लिए करता सरकारी खजाना वो खाली.
देशी संपत्ति को विदेशी बैंकों में वो पहुंचाता,
ढोंगी राष्ट्रव
ादी ,पूंजीपतियों को विदेशों में पनाह दिलाता.
विकास के नाम पर करों का अंबार चढ़ाता ,
वोट पाने के लिए चुनाव से पहिले खैरात बांटता.
शासक, जन विकास कामों के बहाने,
देशवासियों को विदेशी कर्जों में डुबाता .
विदेशी कर्जा चुकाने के लिए देश कि ,
सार्वजनिक संपत्ति का विनिवेश करता.
धन संपदा और सार्वजनिक संपत्ति को,
वो पाटीदारों को कौड़ियों के मोल बेचता.
विनिवेश को सरकार की उपलब्धि बताता,
चंद हिमायतीयों के लिए खजाना लुटाता.