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SUNIL JI GARG

Tragedy

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SUNIL JI GARG

Tragedy

पुलवामा के शहीदों के नाम

पुलवामा के शहीदों के नाम

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लाइन लगी तिरंगों की,

पर डूबा था तन मन गम में।

शहीदों के ताबूत देख कर,

खून तो खौला पर अब भी भरम में।।


अब भी भरम में और शरम में,

टीवी पर खुल गयी खिड़कियां

छोटी खिड़कियों में बेशरम चेहरे 

और बड़ी में दिखतीं थी सिसकियाँ।।


दिखतीं थी सिसकियाँ, 

दिल पर होता बहुत असर

शहीद तो वे होते ही रहेंगे,

हमने न छोड़ी कोई कसर।।


न छोड़ी कोई कसर,

ढोल तो बहुत बजाये

जिनकी रक्षा राम करेंगे,

शिला पूजन सीमा पर करके आये ?


कुम्भ जैसी भीड़ अगर हम 

एक भी दिन वहां जोड़ लें।

कौन सा बम हो दुनिया का,

जो हम न फोड़ लें।।


जो भूल हुई इतिहास में,

चलो अब तो सुधारें

टू नेशन थ्योरी को,

हम अब तो नकारें।।


हिन्दू कुश पर्वत की माला, 

आज भी हमें बुलाती है

एक ही दिन में जीत लेंगे 

ये सेना हमें बताती है।।


सुरक्षा, स्वास्थ्य, शिक्षा,

इसी क्रम में हो प्राथमिकता

रोटी, कपड़ा, मकान,

ये हों, तभी तो टिक सकता।।


पर आज दर्शन क्या बघारूं,

दिल में उठती हूक है

कितने भी बहा लूँ आंसू,

हर बूँद में इक झूठ है।।


श्रद्धांजलि की परम्परा है,

निभानी तो पड़ेगी 

पर ये आग कब और कैसे बुझेगी,

ये बात भी बतानी तो पड़ेगी।।


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