पत्थर हो जाना सीख़ रहा हूँ
पत्थर हो जाना सीख़ रहा हूँ
मन को वश में करना सीख़ रहा हूँ
मैं खुद को पढ़ना सीख़ रहा हूँ।
आसान नहीं होता,
खुद को खुद से ही जीतना,
मैं ये भी हुनर सीख़ रहा हूँ।
आहिस्ता-आहिस्ता
बदल रहा हूँ खुद को,
खुद से ही लड़ना सीख़ रहा हूँ।
मैं इंसान से पत्थर हो जाना
भी सीख़ रहा हूँ।