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Preeti Sharma "ASEEM"

Tragedy

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Preeti Sharma "ASEEM"

Tragedy

पत्नी की विडंबना

पत्नी की विडंबना

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गृहस्थ जीवन की शान है

इसी रिश्ते से निर्मित ,

परिवार ,समाज और संसार है।


घर की धुरी है

हर रिश्ते का आयाम है

निःस्वार्थ सेवा करती है।

बिना किसी रिश्ते के ,

सात फेरों का आधार है।


लेकिन.........

पत्नी की विडंबना ।

समझ नहीं आती है।


अच्छी हो या बुरी।

सब से अनजान ही रह जाती है। 

हर रिश्ते को पालती- पोस्ती हुई।

सिर्फ स्वार्थ पूर्ति के लिए याद आती है।


कहना मानती रहे तो अच्छी है।

हर बात सुनती रहे तो अच्छी है।

अपनी कहां सुना पाती है।

जिसने सुना दी ।

फिर पति के,

स्वाभिमान की बलि चढ़ जाती है।


जीवन भर ,

क्लेश का सफर शुरू हो जाता है।

इसके प्यार और समर्पण को,

क्यों कोई समझ ही नहीं पाता है।


पत्नी की विडंबना ......यह है 

कितनी भी कुर्बानी कर ले ।

लेकिन बदले में अपमान और तिरस्कार ही पाता है ।

जबकि हर रिश्ते की शान बढ़ाता है।



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