पतझड़-सावन
पतझड़-सावन
प्रेम-अगन है
पतझड़-सावन... !
दो दिलों की धड़कन
मोहाकर्षण बन
जब आँखों से उतरकर
हर क्षण
तन-मन पे दे
एक मीठी-सी चुभन...
तभी होता है प्रेमागमन... !
संभाले नहीं संभलता है
ये कैसी अगन ?
सारी दुनिया है
प्रेम पे क़ुरबान... !
न कोई रंग-भेद, न कोई जाति-भेद,
न कोई देश का सरहद ;
स्वीकार्य नहीं कोई प्रतिबंध ।
बस चाहे दिल की बात करना
न माँगे मिट्टी और सोना ...
बस चाहे किसी का होना !