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पता था

पता था

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तेरी परछाई संभाल कर रखी है मैंने
पता था कि अंधेरा घना होने वाला है।

तुझे ख़बर नहीं थी मेरे आने की
मगर मुझे ख़बर थी तेरे जाने की।

वो पल, जो पल भर के लिए हम को मिले थे
न उनमें कोई शिकवे थे, न उनमें कोई गिले थे।

तेरी आवाज़ सहेज कर रखी है मैंने
पता था कि ख़ामोशी कायम होने वाली है।

तुमने कभी बताया नहीं कि कौन हो तुम
तफ़्तीश करता रहा मैं ज़िन्दगी भर यही।

इस बार जब मुलाक़ात होगी, तो पूछूँगा
इस मुलाक़ात में कितने अलविदा छुपे हैं।

हर बार यह अलविदा मेरी जान ही ले लेता है
पता नहीं इसके मुँह, कब मेरा खून लग गया।

तेरी तस्वीर संभाल कर रखी है मैंने
पता था कि याददाश्त जाने वाली है।


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