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डॉ. प्रदीप कुमार

Fantasy

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डॉ. प्रदीप कुमार

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प्रयागराज का महाकुंभ

प्रयागराज का महाकुंभ

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पिछली बार का महाकुंभ इलाहाबाद में था, 

इस बार चलिए प्रयागराज चलते हैं, 

सुना है वहां बहुत बदलाव आ गया है, 

चल के वो सारे बदलाव देखते हैं।

सड़के सारी चौड़ी हो रही, नए-नए पुल बन रहे, 

दीवारें सारी रंगी जा रहीं, सनातन गाथा गा रहीं।

संगम तट का क्षेत्र पहचान में नहीं आ रहा, 

पहले जहां मिट्टी थी, वहां पक्का घाट बना जा रहा,

लेटे हुए हनुमान जी तक जाना अब आसान हुआ, नागवासुकी से लेकर वहां तक कॉरिडोर बन गया।

इस बार का महाकुंभ सच में बहुत दिव्य होगा, 

संतों और ऋषि-मुनियों के मुख से मानो अमृत बरसेगा, 

शासन और प्रशासन मिलकर दिन-रात काम कर रहे, उनके अथक प्रयास से सारे चौराहे संवर रहे।

"संवाद और समावेशी महाकुंभ" इस बार की थीम है, मानव कल्याण अब स्वयं मानव के ही अधीन है, 

गंगा, यमुना और सरस्वती का संगम यहां होता है, 

जो आता, सब कुछ पाता, जो नहीं आता वो खोता है। देश-विदेश से लोग आएंगे,

यहां की आभा देखेंगे, बाकी कुछ हमसे "क्राउड मैनेजमेंट" सीखेंगे, 

भारत-भूमि क्यों तपो-भूमि है, इस बात को समझेंगे, नागाओं पर शोध करेंगे, हमारी संस्कृति को परखेंगे।

पौष-पूर्णिमा से मेले का बिगुल यहां बज जाएगा, 

हर कोई पुण्य कमाने, दौड़ा चला आएगा, 

मौनी-अमावस्या पर तो समझो, 

तिल रखने की जगह नहीं होगी, 

गंगा और यमुना के जल में, 

उस दिन करोड़ों डुबकियां लगेंगी। 

जनसमूह की बाढ़ आएगी, शहर गुलज़ार हो जाएगा,

कड़कड़ाती ठंड में भी लोगों को पसीना आएगा,

जिसको भारत को समझना हो, वो ये महाकुंभ देखे, आए और संगम में नहाए,

जाए वापस गंगाजल लेके।

हम बहुत भाग्यशाली हैं, जो यहां हमारा जनम हुआ,

अब तक के अपने जीवन में हमने कई कुंभ देखा,

आप भी अवश्य आइए, अपनी टिकट कटाइए, 

अपने संग अपने परिवार को, 

अपने धर्म से अवगत कराइए।


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