एक बूंद इश्क
एक बूंद इश्क
अजी थोड़ी देर तो बैठो इससे तुम्हारा क्या जाएगा,
मेरा दिल जो बैठा जाता है संभल जाएगा।
यूं पल भर आकर बेरुखी से उठ चल देते हो,
मेरे दर्द को समझने का हुनर तुमको कब आएगा।
वक़्त लेकर आना अबकी बार, बातें कर ले दो चार,
ऐसे तो हर ख्वाहिश हर सवाल दिल में ही मर जायेगा।
खतावार हूँ तो ये लो मेरा सर तेरे आगे है,
कर लो वो जो तुम्हारे दिल में आएगा।
मैं नौकरानी हूँ तेरे प्यार की, गुलाम नहीं तेरी,
मेरा प्यार तुझ सा नहीं, साथ आया फिर चला जायेगा।
हम तुम बैठेंगे साथ तो जमाना जलेगा ही,
मलाल होगा जिसको वो सुबह शाम बस बड़बड़ायेगा।
मैं तेरे लिए तू मेरे लिए ही बना है देख,
इतनी सी बात समझने में तू कितना वक्त लगाएगा।
मिन्नतें कर रही हूँ आज, कल किसने देखा,
बाद तरसोगे एक बूँद इश्क को, ना कहीं आराम आएगा।