Haripal Singh Rawat (पथिक)
Tragedy
परवरिश की
कमी है...
फ़क्त,
वरना...
इंसाँ...इंसाँ से
नफ़रत करे,
ये... यूं तो,
मुनासिब नहीं ।
अगम्य राह
नूतन वत्सर
सहानुभूतिक जि...
भृंग उर
इश्क़-इस्बात
कौन पथिक?
'इश़्क सौ बार...
खुदकुशी
भाव और पथिक
बेवफा बेरंग दिल आज होली है, प्यार में दगाबाजी हमने झेली है। बेवफा बेरंग दिल आज होली है, प्यार में दगाबाजी हमने झेली है।
झील झरने और खेत खलियान सब कुछ बेचूंगा रोक सके तो रोक लो झील झरने और खेत खलियान सब कुछ बेचूंगा रोक सके तो रोक लो
चुप्पी के चक्रव्यूह को तोड़कर, नारी के कई रूप निखरेंगे। चुप्पी के चक्रव्यूह को तोड़कर, नारी के कई रूप निखरेंगे।
गढ़े मुर्दे उखाड़ना, ये समाज की पहचान है आज समाज, समाज नही, एक श्मशान है! गढ़े मुर्दे उखाड़ना, ये समाज की पहचान है आज समाज, समाज नही, एक श्मशान है!
कालिमा भरे आंसू लिए वो तिरछी नजरों से देख रही। कालिमा भरे आंसू लिए वो तिरछी नजरों से देख रही।
बरसों की मित्रता के ताले हृदय ने रखे थे जो संभाले! बरसों की मित्रता के ताले हृदय ने रखे थे जो संभाले!
अब हमारे घर की मुंडेर पर गौरैया नहीं आती, ये टीस हमें सालती है। अब हमारे घर की मुंडेर पर गौरैया नहीं आती, ये टीस हमें सालती है।
एक दिन जब पाँव में चोट आई, बड़े बेटे को माँ की बहुत याद आई! एक दिन जब पाँव में चोट आई, बड़े बेटे को माँ की बहुत याद आई!
अब कहां से लाए, ये दूसरे वेद पुराण, अब कहां से लाए, ये दूसरे वेद पुराण,
प्यार करते हो कह कर प्यार में व्यापार करना। प्यार करते हो कह कर प्यार में व्यापार करना।
भूख आज जमीं पर गुहार कर रही थी। छोटी से एक बच्ची गरीबी में पल रही थी। भूख आज जमीं पर गुहार कर रही थी। छोटी से एक बच्ची गरीबी में पल रही थी।
वो एक बेटी है इसलिए उसे हर बात पर टोकते हो क्या? वो एक बेटी है इसलिए उसे हर बात पर टोकते हो क्या?
दिल में चाहत है पर उसको पाने के खातिर तू नहीं है पास दिल में चाहत है पर उसको पाने के खातिर तू नहीं है पास
जो कभी खिला हुआ था शहर पल भर में ही उजड़ गया! जो कभी खिला हुआ था शहर पल भर में ही उजड़ गया!
अँखियों के न होने पर , लाठी सहारा बन जाती है, कानों की आवाज़ न । अँखियों के न होने पर , लाठी सहारा बन जाती है, कानों ...
काश मेरा दर्द किसी ने समझा होता तो मुझे यूं अकेला न छोड़ जाता। काश मेरा दर्द किसी ने समझा होता तो मुझे यूं अकेला न छोड़ जाता।
अपनी तहज़ीब, मर्यादा लोग भूल गये है, ऐसे कोई अपने शरीर के कपड़े बदलता है, जैसे अपनी तहज़ीब, मर्यादा लोग भूल गये है, ऐसे कोई अपने शरीर के कपड़े बदलता है, जैसे
एक वो हैं जिनपे हम मरते रहे , उन्हें परवाह तक न हुई ! एक वो हैं जिनपे हम मरते रहे , उन्हें परवाह तक न हुई !
घुटन महसूस होती होगी उसे 10' ×10' के कमरे में जिसने बीघों में अपना गौशाला बनवाया है! घुटन महसूस होती होगी उसे 10' ×10' के कमरे में जिसने बीघों में अपना गौशाला बनव...
रंग बिखर गये हैं इस तरह ज़िन्दगी के, अब होली बेबस बेरंग सी लगती है। रंग बिखर गये हैं इस तरह ज़िन्दगी के, अब होली बेबस बेरंग सी लगती है।