Haripal Singh Rawat (पथिक)
Tragedy
परवरिश की
कमी है...
फ़क्त,
वरना...
इंसाँ...इंसाँ से
नफ़रत करे,
ये... यूं तो,
मुनासिब नहीं ।
अगम्य राह
नूतन वत्सर
सहानुभूतिक जि...
भृंग उर
इश्क़-इस्बात
कौन पथिक?
'इश़्क सौ बार...
खुदकुशी
भाव और पथिक
पर नहीं मिल रही है मेरे गाँव में अब वो पगडण्डी। पर नहीं मिल रही है मेरे गाँव में अब वो पगडण्डी।
सचमुच कितना करते हैं मां पिता, और क्या करते हैं ये बच्चे, सचमुच कितना करते हैं मां पिता, और क्या करते हैं ये बच्चे,
जहां विचार ने कंपन किया स्वर थामे रही बिना शब्दों के जान ले कोई अपेक्षा जीने न दे कही जहां विचार ने कंपन किया स्वर थामे रही बिना शब्दों के जान ले कोई अपेक्षा जीने ...
वो मां बाप के नाम के बजाय नंबरों से पहचाना जाएगा वह रे उसकी किस्मत। वो मां बाप के नाम के बजाय नंबरों से पहचाना जाएगा वह रे उसकी किस्मत।
देख मुझको कफ़न में, क्या आओगे तुम। आंसू मेरी मौत पर, क्या बहाओगे तुम। देख मुझको कफ़न में, क्या आओगे तुम। आंसू मेरी मौत पर, क्या बहाओगे तुम।
एक बेटी के कुछ सवाल ... बेटी क्यूँ झुकती है ,हर बार। एक बेटी के कुछ सवाल ... बेटी क्यूँ झुकती है ,हर बार।
लुप्त हो गई वह कली जो थी फली अगणित अरमानों के संग भरी थी जननी के ख्वाबों के रंग लुप्त हो गई वह कली जो थी फली अगणित अरमानों के संग भरी थी जननी के ख्वाब...
जिसे नवयौवना भाग कर सीने से लगाती और अकेले में आंखों से आंसू बहाती! जिसे नवयौवना भाग कर सीने से लगाती और अकेले में आंखों से आंसू बहाती!
देख कर यह घाव गहरे राष्ट्र के। काल भी आँसू बहाए जा रहा।। देख कर यह घाव गहरे राष्ट्र के। काल भी आँसू बहाए जा रहा।।
न होगा तुमको कोई मलाल, मेरे जाने का मैं हूँ मोहब्बत में बेकदर, कद्र से तेरे। न होगा तुमको कोई मलाल, मेरे जाने का मैं हूँ मोहब्बत में बेकदर, कद्र से तेरे।
जीवन के इस पथ पर साथ चलकर कब तुम उधर गये हम इधर गए। जीवन के इस पथ पर साथ चलकर कब तुम उधर गये हम इधर गए।
रोशिनी न जाने कहां खो गई, अब प्रभात भी शायद होती नहीं । रोशिनी न जाने कहां खो गई, अब प्रभात भी शायद होती नहीं ।
समझ न सके झूठे थे वादे आपके, झूठी वफ़ा ना जाना कि मतलब का तलबगार मिला था। समझ न सके झूठे थे वादे आपके, झूठी वफ़ा ना जाना कि मतलब का तलबगार मिला था।
पर तू थोड़ी हिम्मत रखना एक दिन तू सब अपनी इच्छा का पायेगा। पर तू थोड़ी हिम्मत रखना एक दिन तू सब अपनी इच्छा का पायेगा।
मेरे शब्दों की पीड़ा को समझ कर पढ़ लेना मात्र। मेरे शब्दों की पीड़ा को समझ कर पढ़ लेना मात्र।
किसी को गिराती नहीं हूँ, ख़ुद आगे बढ़ने के लिए..!! किसी को गिराती नहीं हूँ, ख़ुद आगे बढ़ने के लिए..!!
सावन आया पर पिया न आए कैसे मन को धीर बँधाये…! सावन आया पर पिया न आए कैसे मन को धीर बँधाये…!
मैं एक कलाकार हूं शायद मैं एक इंसान नहीं। मैं एक कलाकार हूं शायद मैं एक इंसान नहीं।
कभी तो दूर किया होता तुमने कभी तो पास बुलाया होता तुमने कभी तो दूर किया होता तुमने कभी तो पास बुलाया होता तुमने
दरिंदगी की इंतहा, होने लगी है। इंसानियत भी अब, रोने लगी है। दरिंदगी की इंतहा, होने लगी है। इंसानियत भी अब, रोने लगी है।