Haripal Singh Rawat (पथिक)
Tragedy
परवरिश की
कमी है...
फ़क्त,
वरना...
इंसाँ...इंसाँ से
नफ़रत करे,
ये... यूं तो,
मुनासिब नहीं ।
अगम्य राह
नूतन वत्सर
सहानुभूतिक जि...
भृंग उर
इश्क़-इस्बात
कौन पथिक?
'इश़्क सौ बार...
खुदकुशी
भाव और पथिक
बूढ़े माँ बाप अनाथालय में हैं अनजानों का साथ बहुत भाया है बूढ़े माँ बाप अनाथालय में हैं अनजानों का साथ बहुत भाया है
सिखाता हैं यह घंटा, समय की गति, समय की सीमा । सिखाता हैं यह घंटा, समय की गति, समय की सीमा ।
ख लूँ संजोकर वो लम्हा अपने भीतर जो सिर्फ़ मेरा अपना है, पर कौन देगा मुझे वो लम्हा ? ख लूँ संजोकर वो लम्हा अपने भीतर जो सिर्फ़ मेरा अपना है, पर कौन देगा मुझे वो लम्हा...
सच की लड़ाई में सबकुछ नौछावर करके फिर भी होटों पर मुस्कान है। सच की लड़ाई में सबकुछ नौछावर करके फिर भी होटों पर मुस्कान है।
शराबियों के पैरों तले रौंदी जा रही दर्द की मूरत को कौन तराशे। शराबियों के पैरों तले रौंदी जा रही दर्द की मूरत को कौन तराशे।
मायका और ससुराल दोनों महकाती है बेटियां.. मायका और ससुराल दोनों महकाती है बेटियां..
हम झेल रहे हैं बोली के बदले देखो गोली, अब खैर क्या मनायें सरकारें होती जुमली। हम झेल रहे हैं बोली के बदले देखो गोली, अब खैर क्या मनायें सरकारें होती जुमली।
तो छोड़ दो दुनिया के जंजालों को उनके अनगिनत बेमतलब सवालों को तो छोड़ दो दुनिया के जंजालों को उनके अनगिनत बेमतलब सवालों को
वो रिश्ते बचाता था, पैसे नहीं बचते थे। वो रिश्ते बचाता था, पैसे नहीं बचते थे।
अपने अरमानों के पीछे वह दौड़ चला इसी कशमकश में अपनों को छोड़ चला । अपने अरमानों के पीछे वह दौड़ चला इसी कशमकश में अपनों को छोड़ चला ...
बेहतर के चक्कर में कुछ ना कर पाया, उसकी नाकामयाबी के जनाजे निकल गए। बेहतर के चक्कर में कुछ ना कर पाया, उसकी नाकामयाबी के जनाजे निकल गए।
आ गया जो हमारे दरमियाँ कोई तीसरा तो गुनाहगार हम हुए! आ गया जो हमारे दरमियाँ कोई तीसरा तो गुनाहगार हम हुए!
सब वादों को तोड़ गया ख्वाबों में खौफ़ भर गया सब वादों को तोड़ गया ख्वाबों में खौफ़ भर गया
पुनः प्रकृति की ओर लौटना होगा साथ इसे अपने जीवन में शामिल करना होगा। पुनः प्रकृति की ओर लौटना होगा साथ इसे अपने जीवन में शामिल करना होगा।
आओ तुमको भी सुनाऊं तुम भी सुनो ध्यान से ताऊ आओ तुमको भी सुनाऊं तुम भी सुनो ध्यान से ताऊ
आखिर कब तक तुम बहाने बनाते रहोगे और हम को यूँ ही सताओगे! आखिर कब तक तुम बहाने बनाते रहोगे और हम को यूँ ही सताओगे!
नवल आभूषण सा, पट को हरसूँ सजाना होगा।। नवल आभूषण सा, पट को हरसूँ सजाना होगा।।
जीवन के अंत में एक रास्ता फिर खुलता है जीवन के अंत में एक रास्ता फिर खुलता है
बन गई मैं बस एक नदिया की धारा कितने झंझावतों से टकराती रही बन गई मैं बस एक नदिया की धारा कितने झंझावतों से टकराती रही
मन्दिर में शीश झुकाया। मस्जिद के सामने बारात शांति से निकली। मन्दिर में शीश झुकाया। मस्जिद के सामने बारात शांति से निकली।