प्रवासी
प्रवासी
बड़ी शानो शौकत से अखबारों का बाजार है चलता
धुआँ धुआँ ही सही मगर समाचार है निकलता
हवाई जहाजो मे आनेवाला कालीन पर है चलता
व्यवस्था को अर्थ देनेवाला मजदूर प्रवासी भर है निकलता
हंसी खुशी सब बिकाऊ पैर का छाला भक्त निकला
परिक्रमा चाहे जितनी करो विदेशो से हाथ खाली है निकलता
ताली बजाते फुल बरसाते शहर भर जलसा चलता है 'नालन्दा'
ताले सबके अक्ल पर जड़े कुछ भी बोल नही है निकलता।
