रोज़ ख़ुद को बेच, बेगानी ख़ुशी तलाशता, हो कर दुःखी, घर लौट आता हूँ मैं। रोज़ ख़ुद को बेच, बेगानी ख़ुशी तलाशता, हो कर दुःखी, घर लौट आता हूँ मैं।
बड़ी शानो शौकत से अखबारों का बाजार है चलता धुआँ धुआँ ही सही मगर समाचार है निकलता। बड़ी शानो शौकत से अखबारों का बाजार है चलता धुआँ धुआँ ही सही मगर समाचार है निकल...
खुद को बोर्ड समझकर, कवयित्री के सर्टिफिकेट तक की चर्चा कर जाते है, खुद को बोर्ड समझकर, कवयित्री के सर्टिफिकेट तक की चर्चा कर जाते है,
अब तो बाज़ार में, मैं बिकने लगा हूँ, उनके मनमाफिक जो,जरा लिखने लगा हूँ. अब तो बाज़ार में, मैं बिकने लगा हूँ, उनके मनमाफिक जो,जरा लिखने लगा हूँ.