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SIDHARTHA MISHRA

Inspirational Children

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SIDHARTHA MISHRA

Inspirational Children

प्रतिबिंब

प्रतिबिंब

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प्रतिबिंब एक विचार या लेखन है

कुछ विशेष रूप से अतीत में,

देखने पर कोई क्या देखता है,

एक दर्पण या पानी में केवल अपने शरीर

को देखा जा सकता है,

परन्तु अपने मन कि गहराई में उतर कर

अपने आप को पहचाना जा सकता है ।


प्रतिबिंब का एक उदाहरण है 

एक लेखक द्वारा लिखा गया लेख

चर्चा करना कि वह कैसा महसूस करता है

वह पिछले एक साल में कितना

बड़ा हुआ है उनकी लेखन शैली में।


पानी में अपनी ही छवि देखना

या दर्पण में, प्रतिबिंब है।

हालांकि वास्तविक प्रतिबिंब

अपने आप को जानना है । 


 हम जो भाषा बोलते हैं,

 हमारी शैली, तौर-तरीके, सब हैं

 खुद का प्रतिबिंब।


जैसा कि आप अपने कार्यों पर प्रतिबिंबित कर रहे हैं,

आपको खामियां और गलतियां मिल सकती हैं,

और जब आपको ये खामियां मिलें,

अपने आप को दोष देना बहुत आसान हो जाता है।


यह स्वीकार करने के लिए बहुत साहस चाहिए

आपकी खामियां पर काम करना शुरू करने के लिए

उन पर दृढ़ निश्चय चाहिए।

यही प्रतिबिंब है।


अपने आप पर और लगातार काम करना

अपने स्वयं के (रचनात्मक) आलोचक होने के नाते

समग्र विकास के लिए महत्वपूर्ण है।


स्वयं को जानना यह 

आत्म-ज्ञान की शुरुआत है।

यह वास्तविक ज्ञान है।


चिंतनशील सोच को बदल देता है

यह अनुभव और क्षमता देता है।


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