प्रथम प्रेम की बात,,।
प्रथम प्रेम की बात,,।
मेरा पहला प्यार हो तुम,
मन का मेरे इजहार हो तुम,
सारा प्रेम तुम्हारे लिए हैं,
जीवन का उद्धार हो तुम।
नयनों का ये प्रेम हैं,
इस मन की साधना हैं,
बातों की हैं सारी सरगम,
हृदय की आराधना हैं।
मेरी अखियन में श्याम बसें,
मुझको हर पल दिखाई दें,
कोई कहता कुछ भी हो मुझसे,
मुझको बस श्याम सुनाईं दें।
प्रथम परिणय तुमसे हुआ हैं,
मेरे निर्मल मन का,
प्रथम प्रियतम तुम हों सांवरिया,
तुम हों मेरे मन बसिया।
मेहंदी जो लागी तेरे नाम की,
रंग हैं गहरा बस श्याम जी,
मैं तो मर मिट जाऊं तुम पर,
मेरे जीवन के प्राण तुम्हीं।
इस मन को जो भाया हैं,
वो पहले बस तुम्ही हो,
तुमने समझा मेरे मन को,
अब आखरी भी तुम हो।
जिस दिल में यहां श्याम रहें,
उस दिल में भला कौन जान सकें,
जिस तन मन में मोहन रहते,
उस जीवन में प्रेमी बहते।
सबकुछ कितना बदल गया,
श्याम प्रेम नहीं बदला,
संसार सारा बदल गया,
श्याम प्यारा नहीं बदला।
नारायण का नाम स्थायी,
श्याम नाम परम सुखदाई,
जीवन में श्याम बिना,
कुछ भी नहीं हैं राम बिना।
मन की बातें उनसे कहते,
वो तो मेरे हृदय में रहते,
प्रियमाणाय नाम तुम्हारा,
जो लागे इस मन को प्यारा।
अंखियों से सारी बातें कहना,
पर श्याम बस तुम मेरे रहना,
बांटूँ मैं ना किसी से तुमको,
बस इतनी दया कर देना।
मैंने मोहन चाहा तुम्हें,
अपने मन में पाया तुम्हें
हदय में बसाया तुम्हें,
इतना मैंने चाहा तुम्हें।
सांवरिया और मधुसूदन,
रंग रसिया और मेरे मोहन,
भज लेते हरि भक्त का मन,
सांवरिया और मधुसूदन।
मेरे जीवन के तुम कान्हा,
सच्चे साथी बन जाना,
और मैं ना किसी को चाहूं,
बस तुम ही हों मेरे कान्हा।
ना जाना कभी दूर मोहन,
ना जाना मुझसे दूर सोहन,
ना जाना कभी दूर रसिया,
ना जाना मुझसे दूर सांवरिया।
सच्चे भाव से जो तुम्हें,
याद करें दिन रात,
तुम रहते हो हर पल हीं,
उस व्यक्ति के साथ।
राधेश्याम कहते हैं,
कृष्ण का नाम लेते हैं,
कृपा कृष्ण की जिस पर रहतीं,
वो भक्ति धारा में बहते हैं।
अब तो इच्छा यहीं हमारी,
संसार हों या दुनिया दारी,
छोड़कर अब ये नगरी सारी,
बस जाऊं नगरी हरि प्यारी।
लीलाधारी, गोवर्धन धारी
ओ बनवारी, मन के मुरारी
तुमको पुकारूं, राह निहारूं
हर पल मन में बांके बिहारी।
जीवन की अंतिम घड़ी,
इस दुनिया में सबसे बड़ी,
अन्तर्यामी प्राणों के स्वामी,
दर्शन दो नयन पथगामी।
वासुदेवाय नमः
।।जय श्री कृष्णा।।
राधे राधे..।
