प्रपोज डे - हाइकु
प्रपोज डे - हाइकु
तुम्हें रोज यूं
प्रपोज करता हूं
खुद से खुद।
हर मुकाम
जो हासिल हुआ है
राय थी तेरी।
सलाह कहूं
या टॉर्च अंधेरे में
यही प्रपोज।
गुलाब से ना
मशवरा लेता हूं
ना ही देता हूं।
एक आगाज
जब करना हो तो
तुम हो वहां।
तो हर घड़ी
बातें साझी करना
ही प्रपोज है।

