प्रोटोकॉल तोड़ना होगा
प्रोटोकॉल तोड़ना होगा


बाइक, मोटरकार छोड़कर,
किसी दिन पैदल चलना होगा,
रास्ते में मिलने वाले सभी इंसानों से,
फुर्सत में हमको मिलना होगा।
रिक्शेवाला या ठेलेवाला, या हो चाय बेचने वाला,
सबसे थोड़ी देर ठहरकर हालचाल पूछना होगा,
जिनको अक्सर हम हॉर्न बजाकर,
रास्ते से हटा देते हैं,
डांट-डपटकर, गाली देकर,
उनको भगा देते हैं,
अपने आरामगाह से बाहर हमें निकलना होगा,
इंसान बनने के लिए हमें कई प्रोटोकॉल तोड़ना होगा।
घर के नौकर-चाकर को भी अब इंसान समझना होगा,
कोई जो दरवाजे पर आए, चाय-पानी पूछना होगा,
हमें ऊपरवाले ने दिया है, उनको हमें अब देना होगा,
लालच, ईर्ष्या, घमंड, सब एक साथ छोड़ना होगा,
इंसानियत के नाम अब हमें एक नारियल फोड़ना होगा।