परोपकार
परोपकार
आजकल परोपकार करने का
जमाना कहाँ ??बचा है ।
जिसकी मदद करो दिल से
वही सीना ताने खड़ा है ।
डर का इतना माहौल है
मदद करने में डर लगता है।
दया तो बहुत आती है मगर
नजर अंदाज करना पड़ता है।
लगता है धोखा ना मिल जाए ।
कोई ठग हमको ना ठग जाए ।
हमारी दया का कोई
नाजायज फायदा नहीं उठा ले जाए ।
सुनने में यही आ रहा है ।
धोखेबाजों से जग
छला जा रहा है।
भरोसा तो किस्मत का भी नहीं है
वो भी हमको छल जाती है ।
हँसाने जाते हैं हम लोगों को
और आँख हमारी नम हो जाती है।
यही है आजकल की सच्चाई
भलाई को निगल रही है बुराई
परोपकार करें तो कैसे करें ।
जब जिंदा ही नहीं रही भलाई ।
जब जिंदा ही नहीं रही भलाई ।