प्रणय
प्रणय
तुम मिली जिंदगी जिंदगी हो गई
मेरे जीवन में अब हर खुशी हो गई।
फूल पतझड़ में भी हैं खिले शाख पर
जब से तुम से मेरी दोस्ती हो गई।
इन अंधेरों भरे रास्तों में प्रिये
मैं तेरा चांद तू चांदनी हो गई।
जिससे मन के मैं अपने लिखूं भाव को
तुम मेरी अब वही हो अंकिनी गई।
काव्य के भाव में यदि कहूं मैं 'अरुण'
तुम मेरी नायिका पद्मिनी हो गई।