प्रकृति
प्रकृति
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प्रकृति ने हमें बहुत कुछ दिया
पर हम मानव.. हमें सुकून कहाँँ ?
छीन लेना हमारी फितरत है !!
प्रकृति से भी छीना,,
रुष्ट प्रकृति का कहर
आपदा बन आया..
महामारी ने सबक हमें सिखाया
त्रस्त हुई मानवता.. लाचार हुआ मानव..
वक्त है !!
अब भी संभल जा..
गुनाह कबूल.. सजदे में सर झुका..
रूठी प्रकृति को फिर से मना.....