प्रियवर
प्रियवर
आज से दूर हो रहे हो प्रियवर
इन अंखियों का नूर बनके
वक्त का दोष ना देना हमपर
दिल के टुकड़े हुए चूर बनके
अपनी दुनियां बड़ी नहीं है इतनी
कि तुमको हम भूल जायेंगे
हाँ कसक चुभेंगे हमको शूल बनकर
ये ज़ख्म दुखेंगे वक्त के नासूर बनके
आज से दूर हो रहे हो प्रियवर
इन अंखियों का नूर बनके
फूलों की राह था तुम संग
जीवन की बगिया सुहानी थी
बिखरेंगे अरमान पतझड़ सी फूल बनकर
चाह कर न बरसेंगे आंसू छूपेंगे मजबूर बनकर
आज से दूर हो रहे हो प्रियवर
इन अंखियों का नूर बनके।