परिवर्तन
परिवर्तन
जो जीवन की पहचान है,
हां! परिवर्तन उसी का नाम है।
हवा के झोंको की गति बदलने पे,
आता तूफान का पैगाम है।
बर्फ और भांप ! पानी की यही कहानी है,
ठहरे हुए समंदर से ही आती सुनामी है।
बैल गाड़ी से जो सफर करते,
उन्होंने हवा से बातें करना जाना है।
जो लंबे लंबे खत लिखते थे,
अब गपशप के लिए, बस एक बटन दबाना है।
एक आंगन में दस बच्चे देखे ज़माना हो गया,
मैंने कमरों में फ़ोन संग बंद पुतले देखे हैं।
दावत कहते हैं लोग जिसे आज कल,
औरतों ने कभी एक घर में पचास लोगों के लिए परांठे सेंके हैं।
कभी घर घर में राम लक्ष्मण जन्म लेते थे,
आज घर घर में ज़मीन जायदाद के किस्से होते हैं,
घर की डोर थामने वाली सीता होती थी नारी,
आज कैकयी से घर के तमाम हिस्से होते हैं।
कभी चला था श्रवण कन्धों पर माँ बाप को लिए,
नेत्रहीनों को तीर्थ कराता था।
आज बेघर कर देते है वो बच्चे,
जिनका बाप पेट काट काट कर उन्हें खिलाता था।
सदियों से जो घूंघट में रही,
अब चौखट के बाहर कदम जमा चुकी है।
अपमान का बोझ लेकर जो जीती सोती थी,
अब आत्मशक्ति का स्वप्न जगा चुकी है।
जो कभी हर बीमारी का अंजाम मौत होता था,
मातम फैलाती थी हर बीमारी।
कर्क रोग भी हार जाता है आजकल,
विज्ञान ने ली है जो ज़िम्मेदारी।
समय जो हर क्षण परिवर्तित होता आ रहा है,
प्रतिदिन दिन और रैन ला रहा है।
यह थम जाए तो सांसे कहाँ,
चलाता है जो जीवन हर पल यहाँ।
नियम संसार का जिसको ना कोई मिटा पाया है,
बदल पाए जो इसे ना ऐसी कोई माया है।
परिवर्तन बिन जीवन संभव नहीं,
प्रकृति ने यह समझाया है।
मनुष्य के बदलने से ना बदले,
ना बदल पाए उसे काया की छाया है।
सदियों से चलता परिवर्तन का यह वचन,
जीवन संग मरण और मरण संग जीवन।
