परिवार एक आश्रय
परिवार एक आश्रय
परिवार रिश्तो से मिलकर
बनता है
परिवार में कोई एक गिरता है
तो दूसरा उसे थाम लेता है
कभी-कभी परिवार में भी
मतभेद होता है
मगर इस कसोटी में परिवार
ख़रा होता है
मुश्किल के वक़्त परिवार हमें
आश्रय देता है
वही परिवार अपनों के लिए लड़ता
झगड़ता है
वफ़ा बेवफ़ाई प्यार स्नेह वात्सल्य
जैसे जज़्बात
परिवार भी न जाने कितने रिश्ते
उकेरता है
दादा दादी नाना नानी पिता पुत्र माता
पति पत्नी
परिवार न जाने कितने रिश्तो को
ख़ुद में समेटता है
कभी परिवार संयुक्त परिवार तो कभी
एकल परिवार होता है
परिवार में चोट एक को लगती है तो
दर्द दूसरे में उभरता है
परिवार से एक मकान घर बनता है
परिवार व्यक्ति का कभी घर
तो कभी छत बनता है
किसी ने ठीक ही कहा है
एक मकान तो परिवार से ही
घर बनता है।