STORYMIRROR

Anubhav Nagaich

Romance

4  

Anubhav Nagaich

Romance

परिभाषित प्यार

परिभाषित प्यार

1 min
353

दुनियाँ में हैं कई तरह के प्यार,

बँटता और छिनता हुआ प्यार, 

फैलता हुआ और किसी पर थोपा हुआ प्यार,

पूरा होकर किया गया प्यार,

खालीपन को भरता हुआ प्यार।


एक प्यार जो होता खास,

तभी होता है पास,

एक प्यार जो होता है पास,

तो दुनिया हो जाती है खास।


एक प्यार जिसमे ख्वाहिशें पूरी

होकर भी रह जाती अधूरी,

एक प्यार जिसमें

ख्वाहिश ही होती है पूरे की।


एक प्यार जिसमे खोने के

डर से छिन जाती है आज़ादी,

एक प्यार जिसमे प्यार ही है आज़ादी।


एक प्यार जिसमे दो खाली

दिल करते हैं एक-दूसरे को पूरा,

एक प्यार जिसमे दिल है ही पूरा।


एक प्यार जिसमे होती है सिर्फ ठरक,

एक प्यार जो नहीं करता किसी में फरक।

एक प्यार जो बदलता है समय और दूरी के साथ,

एक प्यार जो होता है इन सबके पार।


प्यार है एक एहसास जैसे पूर्णिमा का

चाँद लगता है कुछ खास।

शराब है एक पेग रिस्की-सा

मगर प्यार है समंदर व्हिस्की का।


प्यार है महकती खुशबू-सा,

ख़ामोशी में गूँज-सा, हवा में उड़ते पक्षी-सा।

प्यार है आग के दरिये-सा,

कीचड़ में खेलते बच्चे-सा,

बेवजह मुस्कुराते होठों-सा,

दहाड़ती हुई जवानी-सा।


प्यार नहीं है कोई ढाई अक्षरों का मेल,

ये तो है सड़क के दौड़ते कुत्तों का खेल।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance