जीवन की दौड़
जीवन की दौड़
भागो भागो भागो भगो चलो सब एक रेस में भागो,
पैदा होके दूध पी के सूट पहन के निशाना दागो,
यहाँ भी दागो वहां भी दागो दुनिया की हर फ़ील्ड में दागो,
लग गया क्या तुम्हारा निशाना ज़रा मुझको भी तुम ये बता दो,
भागो भागो भागो भागो।
लगा होगा निशाना आस-पास,
कुछ मिल गया होगा खास-खास,
लगे जैसे सब कुछ पास-पास,
पूरी हैं सब आस-आस...
सब मिल गया पूरा?
जब तमन्ना थी अधूरी तो उम्मीद न करो पूरे की,
तमन्ना थी खूब दौलत की लो मिल गया समंदर,
क्या करें समंदर का जब आग लगी है भीतर,
भीतर जलने दो इस आग को जल जलती है जल जायेगी,
डाल दिया जो पानी तो फिर सुलगती ही रह जायेगी, रह जायेगी।
डाल दे पानी, ले ले दौलत ओ अभिमानी, कर ले खींचातानी, मनमानी, यही है तेरी कहानी।
फिर जलेगी, जलती रहेगी, हो गये बूढ़े आग तो रहेगी, मर गये मगर आग तो रहेगी, ये आग रहेगी
दे ये आग विरासत में अपने बच्चे को ,अपने पोते को, लगा दी आग सुलगने को, ये आग लगी रेस करने को,
ये आग रेस करने को।
रुक जा थोड़ा थम जा थोड़ा, कहाँ खड़ा है, जरा देखले थोड़ा, सांस ले थोड़ा, ज़िन्दगी ही खुद में पूरी है, इसे जी ले थोड़ा।
ले पानी पी, थोड़ा बैठ ले, कर आँखे बंद, थोड़ा रेस्ट ले, जरा सांस ले, जरा देखले, कुछ सीख ले।
कहाँ पंहुचा? क्या खोया तुझे क्या मिला? कहाँ है शान्ति? कहाँ है प्यार? भाग-भाग सब छिन गया यार।
भाग भाग के खोजा चैन, सांस ली लंबी, बंद करे नैन, मिल गया चैन।
जब बंद किया सुलगना, जलने दी भीतर आग से आग, सब हो गया राख, उड़ गयी राख, सब होगया खाक।
क्या बचा?
कुछ खास नहीं,
न है सुख, न है दुःख, न है मकसद, न कुछ पाने की भूख, न कुछ कमी, सब कुछ यही, चलो जीले पूरा।
न कुछ पाना, क्यों पाना है? तू खुश है, क्यों डरना है? मरना है?
हंस ले, जरा नाच ले, जरा चढ़ ले इन पहाड़ो में,
देखले इन धड़कन से, पीले इन आँखों से, बहले हवाओं में, चलो जी लें पूरा।
सब पूरा हाँ ,पूरा है, तू क्यों अधूरा है?
तू क्यों अधूरा है, जब सब कुछ तो पूरा है।
चलो जी लें पूरा,
आओ जी लें पूरा
सब पूरा हाँ पूरा, चलो जी लें पूरा।