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Rishabh Tomar

Tragedy

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Rishabh Tomar

Tragedy

प्रेयसी से प्रश्न

प्रेयसी से प्रश्न

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मुझको करना ही था जब पराया प्रिये

कुछ समय संग फिर क्यों निभाया प्रिये ?


तोड़ने ही थे जब सब हृदय के स्वपन

ख्वाब सतरंगी फिर क्यों दिखाया प्रिये ?


मानता मुझ गिरे को उठाया था कल

साथ चल फिर डगर क्यों गिराया प्रिये ?


जब पुष्प हृदय से तुमको लगाने न थे

डाल को फिर यूँ ही क्यों हिलाया प्रिये?


सीख पाये न पढ़कर किताबो से जो

हमको वो जिंदगी ने सिखाया प्रिये?


इस जमाने से शिकवा गिला क्या करें

हमको हमने ने ही जब है सताया प्रिये


आज भी हम ऋषभ बैठे पीपल तले

कल जहाँ तुमने मुझको बुलाया प्रिये


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