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Shivanand Chaubey

Romance

3  

Shivanand Chaubey

Romance

प्रेम

प्रेम

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चले थे प्रेम करने हम फ़ना होकर के आये हैं

हम उनके नफरतों में खुद को यू खोकर के आये हैं

कितनी नादान हैं मांगी जां मेरा शौक से ये कुर्बान हैं

तेरी यादों की कब्रो पे यू हम सो कर आये है

भुला दे हम तुम्हे कैसे कभी ये हो नही सकता

तेरी यादो की मोती को पिरोकर के हम आये है

मेरे मन के मन्दिर में बसी तेरी ही मूरत है

तेरी यादो की कस्ती को हम संजोकर के आये है

खफ़ा हम हो नही सकते हमारी जां की जां है वो

बेशक वो हँस रहे दिल से शिवम् हम रो कर आये हैं ! !



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