प्रेम
प्रेम
प्रेम की अविरल धारा है तू कान्हा,
प्रेम से प्रेम की मेरी प्रहरी है राधा।
मेरे प्रेम की अनुपम रचना कान्हा,
मेरी प्रेम की अनुपम गरिमा राधा।
प्रेम से हृदय का अनमोल कान्हा,
हृदय में बसा तेरा मेरा प्रेम राधा।
रोम-रोम में व्याकुल है तू कान्हा,
कण-कण में समाईं मिरे है राधा।