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Mukesh Bissa

Romance

3  

Mukesh Bissa

Romance

प्रेम

प्रेम

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दिल खोया बेकरार सा रहता है 

उलझा -उलझा रहता है

यही प्रेम है


 दिल में बेकरारी हैं अजीब सी खुमारी है

 बेताबी और तन्हाई का आलम है 

 यही प्रेम है


दिल को बिना उसके करार नहीं आता कहीं

आंँखों को मेरी ओर कोई दूजा भाता नही

 यही प्रेम है 


दिल में दिखती है तस्वीर उसकी हर पल

और नजरों में भी वही समाया रहता है 

 यही प्रेम है 


दिल मैं उठती है बस दीदार ए यार की तलब

दुनिया की भीड़ से मुझे कोई मतलब नहीं 

यही प्रेम है।


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