प्रेम
प्रेम
प्रेम है कहने से
प्रेम नहीं होता है
खुद को प्रेम दिवानी मानने से
कोई राधा या मीरा नही होता है
ढाई आखर प्रेम के में
समाया सब संसार है
जो सच्चे प्रेम को समझ सके
बिरला ही इस संसार में है
मिले जीवन में जो प्रेम तुम्हें
कद्र करो और मानो उसे नसीब
वर्ना एक तरफा ही प्रेम में
गुजर जाएं यह उम्र।

