प्रेम
प्रेम
मैं तो तेरी जोगन बन गई
बिरहा अब यह सही न जाए
पूछे रोग मेरे दिल का पर
दिल की बात कहीं ना जाए
इश्क का रोग है प्रेम रोग ये
कोई इसकी दवा बताएं
सबर किया है खबर किया
कोई तो दो उसे बुलाय
इश्क अगर हैं उसे मुझसे तो
कह दो मुझसे मिलने आए
हम बेहोश है दिल का दोष है
कह दो उसे ना लौट कर जाए
संग साथी हो, बाराती हो
सेहरा बांधे वो ही आए
चारों दिशाएं फिर गुंजेगी
दुलहनिया जो वो मुझे बनाय