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Sandhaya Choudhury

Romance

4  

Sandhaya Choudhury

Romance

प्रेम

प्रेम

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335


मुझे प्रेम चाहिए सिर्फ मुझे प्रेम

एक पुरुष से प्रेम चाहिए सिर्फ प्रेम

वह पति होना जरूरी नहीं 

और ना ही वह प्रेमी हो 

ना ही कोई खरीददार हो 

बस स्त्री हूं ना तो एक पुरुष का 

प्रेम चाहिए 

जो मेरी आंखों में देखे

नहीं मेरे अंतःकरण को देखे 

जो मेरे रूह से होकर जिस्म तक जाएं

जो मेरे बोलने का इंतजार ना करें

मेरे मन को जो पढ़ ले 

मेरी हंसी के पीछे उस दर्द को समझ ले

अपने अहंकार से इतर मेरे समर्पण को कद्र करें ।

नहीं चाहिए मुझे श्रृंगार की सारी वस्तुएं

एक चुंबन से मैं हो जाती हूं सिंगार से भरपूर ।

नहीं चाहिए मुझे तुम्हारे मुख से अपनी सुंदरता की प्रशंसा सुनना ।

बस एक बार सिलवटो को सहेज कर जब विदा करूँ  

मुड़कर मेरे ललाट पर एक चुंबन जड़ देना

ज़माने भर के सामने नहीं चाहिए तुम्हारा मुझे सम्मान देने का रिवाज

अकेले में मिलो तो मेरे अस्तित्व को परखना मान देना

उसे इज्जत देना नजरों से ही सही 

 बीत जाता है हर वह मंजर पुराना लेकिन तुम मुझे पहले सा की प्यार देना ।

जब जब उम्र बीतने लगे तब तक तुम मेरे हृदय से और ज्यादा जुड़ जाना

शब्दों के मिठास से मुझे तरोताजा करना

मुझे लगेगा मैं अभी भी नवयौवना हूँ ।

जब ना रहूं बस तन्हाइयों में मुझे याद करना।

ढेर सारा फिर से प्रेम करना ताकि

 अगले जन्म में तुम जैसा पुरुष मिले जो सिर्फ प्यार की परिभाषा समझता हो

और समर्पण होती रहूंगी बार-बार निरंतर तुम जैसे पुरुष के पास हर बार निरंतर लगातार।


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