प्रेम पूजा
प्रेम पूजा
किसी धूमिल शाम के साये में
अतृप्त बिरहा के मारे
जब दो दिल धड़कते हैं एक साथ
तब सुंदरता के अनमोल इशारे
कायनात के हर ज़र्रे से बहते हैं।
प्रेमियों की भावनाओं का
अनुवाद करते गवाही देते हैं।
फूल से खुशबू
चाँद से चाँदनी
दरिया की मौजों से संगीत बहता है।
बहती बयार भी कहती है तराने
पेड़ से लिपटी लताएँ भी गाती है।
मंदिर और मस्जिदों में
आरती अज़ानों से।
सुफ़ियाना संगीत सी
बजती है एक ही धुन
प्रीत की परछाई सी
इश्क इबादत है
प्रेम ही है प्रार्थना।
आशिकों के दिल में ही
रहता मेरा मौला है।