प्रेम पत्र
प्रेम पत्र
प्रेम पत्र एक अजब अनोखा
तोड़ कर लाई ख्आवों से
कुछ शरमा कर, कुछ घबरा कर
इश्क लिखूंगी आंखों से
उठती गिरती पलकें मेरी
तेरी सुबह शाम लिखेंगी
रचकर मेरी हथेली में
ये हिना तुम्हारा नाम लिखेगी
खन खन करती मेरी चूड़ियां
सजना तुझे पुकारेगी
चंदा जैसी मेरी बिंदिया
तेरी प्रीत सवारेंगी
नैनों के काजल की स्याही
तेरी नज़र उतारेगी
आँगन के फूलों की क्यारी
तेरी राह निहारेगी
कैसे ख़ुद को रोकोगे जब
मेरी प्रीत पुकारेगी
मेरे नाम की लहर तुम्हारे
मन में हिलोरें मारेगी।