प्रेम प्रसंग
प्रेम प्रसंग
सुन, सुना और अनसुना कर देना
चाल चला और मनचला कर देना
आंखें हैं ये दुनिया में देखने के लिए
देखकर इनमें आहें भरते हो किसलिए।
पहली दफा प्रेम का बूखार
सम्भल जाना यह बहुत खूंखार
इन अदाओं से लूभाने की ना करों कोशिश
इनमें है कुछ कशिश जिसे ना पहले लो पहचान।
गुण, गुणा और बहुगुणा हो जाना
शुरू में ही अपना प्रभाव मत दिखाना
यह दिल फिसलने पर कभी नहीं रुका
दिल की बातें दिल में हीं छुपाकर रखना।
मन माना और मनमानी करना
कर जोड़कर गुजारिश सफल करना
अनमने सा व्यवहार किसी से कभी ना करना
आंसु ये ना बने नदियों के से बहने की सतत क्रिया।
पल पल दूर होते पलकों से
ये कैसी तरूणाई पायी है
मिलना था , पर जूदाई है
ढाक के तीन पात की सी कमाई है।
परा है पर परे को जो प्राप्त करना है
खड़ा
है पर उड़ने को पर चाहता है
निगाहें है जिसमें दिख रही नीली झील है
ये इनमें नीला आसमान समाना चाहता है।
प्रेम प्रसंग प्रकृति का है सुख परम
स्वयं के प्रति समर्पित होकर कर्म कर
पिछले साल के उन गिरे पत्तों को क्या याद करना
ये तो होना ही है जिनका होता हर साल ऐसे ही गिरना।
सुन सुना और अनसुना कर देना
दिल है तेरा जिसे मर्जी हो देना
बहती नदी में हर कोई चाहे डूबना
नदी बनकर जानबूझ कर ना डूबो देना।
दिल है गहना जिसमें प्रेम की होती है चमक
हार कर जीताना ही इसका बड़ा प्रभाव है गजब
किसी के दिल की कोमल भावनाओं से ना खेलना
इस प्रेम प्रसंग में अपनी प्रकृति का नाश ना कर देना।
सुन सुना और प्रेम के गीत गुनगुना
भंवरा बन कर फूलों पर अपना मन मंडरा
इस प्रेम को पाने में अपना योगदान कर देना
प्रेम के संग में अपना प्रेम प्रसंग कभी सुना देना।