प्रेम की परिभाषा जीवन की आशा
प्रेम की परिभाषा जीवन की आशा
प्रेम त्याग का रिश्ता निराला है,
संसार ने सदैव प्रेम को त्याग से ही आंका है।
राधा के विरह ने सदैव राधे राधे अमर किया है।
किन्तु क्या रुकुमाई ने भी कम दर्द सहा है ?
अवश्य ही मीरा ने विष-ठोकर खाई है
विधरभी भी पीहर से लड़ के ही तो पिया को पाई थी।
जो सब लुटवा कर बना दे धनवान
वो चमत्कार प्रेम है।
क्यों प्रेम पुष्प - गीत - संगीत में ही दिखता है ?
पिता के लाड़ ,प्रोत्साहन, विश्वास में प्रेम है।
मां की मीठी मुस्कान , विनम्र गर्व में प्रेम है।
क्यों प्रेम उत्सव को विशाल होना ज़रूरी है ?
क्यों उसकी प्रशंसा होना ज़रूरी है?
जब दुनिया के सामने रखते हो मेरा मान,
तब मेरी उस मुस्कान में प्रेम है ।
जब उज्ज्वलित कर देते हो किसी गैर का जहां
उस कर्म में प्रेम है।
पिता की शाबाशी प्रेम है
मां की सीख प्रेम है ,
दादी की कहानियां प्रेम है, दादा की स्मृतियां प्रेम है ,
उनसे मिली सबसे अनमोल धरोहर प्रेम है।
लाखों परिभाषाएं जिसकी
शून्य अपेक्षाएं हैं,
सात स्वर, नौ रस, सोलह श्रृंगार प्रेम है।
जो रखता आत्मा को अमर सदैव,
वो अमृत प्रेम है।
आराध्या प्रेम है, आराधना प्रेम है
हर पुण्य का फल प्रेम है।
हर प्राणी में प्रेम है,
जीवन की ध्वनि प्रेम है।
प्रेम के लिए नहीं आवश्यक चांद तारे तोड़ लाना।
काफी है किसी एक के चेहरे में मुस्कान लाना।
कहते हैं नहीं बांधा जा सकता चंद शब्दों में प्रेम ,
पर ढाई अक्षर में संपूर्ण जग दिखाता है प्रेम,
हर नियम से परे है प्रेम
बट कर भी हर क्षण बढ़ता है प्रेम।