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Ram Chandar Azad

Romance

3  

Ram Chandar Azad

Romance

प्रेम की नगरी

प्रेम की नगरी

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चलो सजन कहिं और

जहाँ हो प्रेम की नगरी।


प्रेम धरा के कण-कण में हो नभ में प्रेम की बदरी।

प्रेम की भाषा प्रेम की आशा प्रेम सुधा रस गगरी।।


प्रेम पियासा जन अभिलाषा मुख में प्रेम की मिसरी।।

प्रेम विटप पर प्रेम के पंछी छेड़त प्रेम की ठुमरी।।


प्रेम छवी नैनन दर्शाती खोलत अधर प्रेम की गठरी।।

कहि ‘आजाद’ मनहिं भीतर में तेरो है प्रेम की नगरी।।


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