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Anita Chandrakar

Romance

4  

Anita Chandrakar

Romance

प्रेम की गहराई

प्रेम की गहराई

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चेहरा ख़िल जाता नाम सुन, मिट जाता अंतस का तम।

दिल तड़प उठे जुदाई में, आँखें तत्क्षण हो जाये नम।


प्रेम रूहानी मधुर एहसास, हिय में रहे प्रिय का वास।

ये पीर घनेरी सबसे ख़ास, महके फूल सनम हो पास।


बिन बताए महसूस कर ले, जान ले मन की हर बात।

जन्नत से भी सूखकर लगे, धरा का ख़ूबसूरत सौगात।


एक आवाज़ सुनकर आ जाये, कर बाधाओं को भी पार।

पूर्ण समर्पण और त्याग अतुल, जान लो प्रेम का सार।


प्रेम की गहराई अगाध, थाह नाप न पाया कोई इंसान।

अपरिमित अमित अनमोल प्रेम, करना सदा सम्मान।


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