प्रेम के कुसुम बन के रहे
प्रेम के कुसुम बन के रहे


जख्म देने होते तो कई दे दिए होते
हम तो मरहम बन के रहे
शिकायतों के बोझों से लद गये हम
शिकवे गिले दूर करने के बिस्तर बन के रहे
आँसुओं ने हृदय को पिघला ही दिया
मुस्कुराने की वजह भी बन के हम रहे
विरह की रात बीतेगी तब मिलन का सवेरा आयेगा
पहर दर पहर की हलचल हम बन के रहे
बरसती है आग जमाने की जुबानों से
जमाने में हम पानी की जुबान बन के रहे
दर्द में भी मुझे जीना आ गया
हम दर्द-ए-दिल की दवा बन के रहे
फ़ैल जाये गगन में प्यार की खुशबू
'हेमू' प्रेम के कुसुम बन के रहे