STORYMIRROR

Ervivek kumar Maurya

Romance

2  

Ervivek kumar Maurya

Romance

प्रेम के कुसुम बन के रहे

प्रेम के कुसुम बन के रहे

1 min
235


जख्म देने होते तो कई दे दिए होते

हम तो मरहम बन के रहे


शिकायतों के बोझों से लद गये हम

शिकवे गिले दूर करने के बिस्तर बन के रहे


आँसुओं ने हृदय को पिघला ही दिया

मुस्कुराने की वजह भी बन के हम रहे


विरह की रात बीतेगी तब मिलन का सवेरा आयेगा

पहर दर पहर की हलचल हम बन के रहे


बरसती है आग जमाने की जुबानों से

जमाने में हम पानी की जुबान बन के रहे


दर्द में भी मुझे जीना आ गया

हम दर्द-ए-दिल की दवा बन के रहे


फ़ैल जाये गगन में प्यार की खुशबू

'हेमू' प्रेम के कुसुम बन के रहे


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance